Logo

Mehfil-e-Gobar

October 22, 2025
1 min read
  • उसने जब दिल का दरवाज़ा खटखटाया, कोई घर नहीं था उसके रहने के लिए, मेरे सीने में। फ़िर रूह के टुकड़ों से जब उसके लिए एक घर बनाया, तो अब उसे कोई और घर मिल गया है रहने को

  • सोचता हूं अगर तुमने ठुकराया होता मुझे तो शायद ये जख्म उतना गहरा ना होता, जितना ये गहरा हुआ है तुम्हारे बेवजह यूं गायब हो जाने से।

  • हमारी यादें मुझसे इस कदर सांस खींच लेती हैं, जैसे समंदर किनारे पड़ी एक मछली, जो इस आशा में दम तोड़ देती है कि रात ढलेगी, और समंदर आएगा उसे अपनी बाहों में वापस लेने।